प्रदेश में सहकारी समितियों एवं समूहों की प्रशिक्षण, सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना, कच्चे माल की व्यवस्था करना एवं विपणन की सुविधा प्रदान करना।
हमारे बारे में जानें1.खादी ग्रामोद्योग सहकारी समितियों / संस्थाओं एवं अन्य सदस्यों की कुटीर एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के सम्बद्धित सेवा देना एवं उनके कार्यों में समन्वय स्थापित करना उन्हें सहायता प्रदान करना / कराना उनकी उन्नति एवं विकास कार्यों में सहयोग प्रदान करना और इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु :-
1. कृषि पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना तथा ग्रामीण एवं औद्योगिक विकास हेतु छोटे-बड़े, लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना करना जिससे ग्रामीणों का विकास हो सके।
2. प्रत्येक जनपद स्तर पर छोटे एवं बड़े उद्योगों के माल आपूर्ति हेतु बिक्री केन्द्र स्थापित करते हुए उद्योगों को बढ़ावा देना।
3. सभी प्रकार मृत पड़ी औद्योगिक एवं ग्रामोद्योगिक सहकारी समितियों एवं इकाइयों को पुनर्जीवित करने हेतु विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करते हुए उन्हें मजबूती बनाना।
4. स्थाई कृषि एवं ग्रामों के सर्वांगीण विकास हेतु शासन एवं सरकार द्वारा समस्त विकासकारी योजनाओं का संचालन करना संस्था का मुख्य उद्देश्य होगा।
1. निदेशक के अनुमोदन से सरकार / खादी ग्रामोद्योग आयोग / 3000 खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से अंश धन तथा इन श्रेणी अथवा सहकारी बैंक अथवा अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों से मुख्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ऋण प्राप्त करना तथा ऋण प्राप्त करने में सहायता करना।
2. ग्रामोद्योग वस्तुओं के थोक व्यापार की एजेंसियां प्राप्त करना एवं देना।
3. प्रदेश के खादी ग्रामोद्योग सहकारी समितियों / उत्पादन संस्थाओं एवं पंजीकृत उद्योगियों के उत्पादन का अनुबन्ध करना तथा उसकी समुचित विपणन की व्यवस्था हेतु गुप्तदान करना।
4. राज्य सहकारी बैंक प्रदेश स्तरीय तथा अन्य साझेदारी संस्थाओं / यूनियन में सदस्य बनना।
5. ग्रामोद्योग के विकास के उद्देश्यों से भूमि, भवन, वाहन, मशीनरी औजार तथा उपकरणों की क्रय एवं व्यवस्था करना, निर्माण कराना तथा प्रदर्शन कक्ष बनवाना।
6. संघ तथा सम्बद्ध समितियों / सदस्यों के उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से कारखानों तथा अन्य के यथाआवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था करना तथा प्रशिक्षित व्यक्तियों के एक कोष्ठक की स्थापना करना।
7. निदेशक के अनुमोदन से ऐसे कार्यों को अपनाना जो उक्त उद्देश्यों की पूर्ति में प्रभावी एवं सहायक हो जिससे ग्रामोद्योग के विकास में सहायता मिले।
8. ग्रामोद्योग उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए परीक्षणशालाओं की स्थापना करना तथा समग्र / यथा आवश्यक चिन्ह की व्यवस्था करना।
9. निदेशक के पूर्व अनुमोदन से सुप्त अथवा निष्क्रिय ग्रामोद्योग सहकारी समितियों / संस्थाओं को सक्रिय बनाने में सहायता करना।
10. राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे परिवार कल्याण महिला कल्याण युवा एवं बाल कल्याण तथा परिवारों के नैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग देना। उद्योग विभिन्न क्षेत्रों से इन उद्देश्यों के लिए सहयोग प्राप्त करना।
11. "3000 खादी ग्रामोद्योग बोर्ड खादी ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य संबंधित संस्थानों के अनुरूप ग्रामोद्योग सहकारी आंदोलनों को सुदृढ़ करने में सभी प्रकार के सहयोगी देना तथा प्राप्त करना।
12. उद्योगों के लिए कच्चा माल तथा उत्पादित माल के विपणन के लिए आवश्यकतानुसार एजेंसियों के साथ मिलकर अथवा स्वतंत्र रूप से सर्वोत्तम व्यवस्था करना।
13. राज्य आवश्यक बिक्री व्यवस्था बढ़ाने हेतु शहरी तथा अन्य क्षेत्रों में इम्पोरियम तथा बिक्री केंद्र स्थापित करना तथा स्थानीय क्षेत्रों के बाहर के बाजार भी सुनिश्चित कराना।
14. उत्पादक इकाईयों के कम से कम 50 प्रतिशत तक उत्पादन के क्रय करने की व्यवस्था करना।
15. विभिन्न शासकीय अर्धशासकीय तथा निजी क्षेत्र के संस्थानों तथा शासन के विभागों में ग्रामीण क्षेत्र के इन उत्पादों को विपणन के बढ़ावा देने के लिए आवश्यक सम्पर्क बनाना।
16. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए कृषि विभाग (इफको व कृभको) से खाद व बीज का लाइसेंस लेकर किसानों को उचित दर पर वितरण कराना।
इस केंद्रीय / शीर्ष स्तरीय संघ के निम्नलिखित चार प्रकार के सदस्य होंगे -
1. साधारण सदस्य - प्रारंभिक औद्योगिक उत्पादन सहकारी समितियां औद्योगिक सहकारी संघ, ग्रामोद्योग स्वयंसेवी संस्थाएं, एकीकृत ग्राम विकास योजना के लाभार्थी व्यक्तिगत ग्राम एवं लघु उद्योग में लगे उद्यमी, शासन, 3000 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड सहकारी बैंक तथा जिला ग्राम विकास अधिकारी जो नियमित रूप से हिस्सा पूंजी जमा करके अधिनियम एवं नियमों के प्रावधानों के अनुसार सदस्य बने हों।
2. सहयोगी सदस्य - अधिनियम की धारा 18(2) के अंतर्गत बने सदस्य।
3. नामांकित सदस्य - अधिनियम की धारा 18(3) के अंतर्गत बने सदस्य।